Wednesday, February 28, 2018

इस साल की नयी होली : कुछ काम अब तो कर लो बलम...

‘कुछ काम अब तो कर लो बलम-2,

बंद करा क्यूं ग्यूं चावल हमरा, गुझिया हुंणी चीनी दिला दो बलम,

कुछ काम अब तो कर लो बलम..

खाली खजाना जेब भी खाली-करने वाले जेल चलें,

मुख पे मलो उनके कालो डीजल, भ्रष्टाचार की होरी जलें,

औरों पर तो बहुत चलाई, कुछ खुद पर भी तो चला दो कलम,

कुछ काम अब तो कर लो बलम....’

सब्बै इष्ट-मितुरन, संगी-साथी, नाना-ठुला भाई-भुला, दीदी-भुली, ब्वारिन-बोजिन सबन, सरकार में और सरकार से भ्यार-भितर वालों, कलम के सिपाहियों, घर-ऑफिस, अखबार वालों, फेसबुकिया, ट्विटरिया, ब्लॉगिया और ‘राष्ट्रीय सहारा’-‘नवीन समाचार’ के पाठकों  को होली की बहुत-बहुत बधाइयां... 

हो-हो-हो लख रे....गावैं, खेलैं, देवैं असीस, हो हो हो लख रे। बरस दिवाली-बरसै फाग, हो हो हो लख रे...। जो नर जीवैं, खेलें फाग, हो हो हो लख रे...।
नवीन जोशी, 'नवेंदु'

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Saturday, February 17, 2018

कुमाऊं के ब्लॉग व न्यूज पोर्टलों का इतिहास

कुमाऊं के ब्लॉग :

ब्लॉगिंग को नये मीडिया का मुख्य आधार कहा जाता है, और वेब पत्रकारिता की शुरुआत सोशल मीडिया से भी पहले ब्लॉगिंग से ही मानी जाती है। निस्संदेह देश में आलोक कुमार के हिन्दी ब्लॉग ‘नौ दो ग्यारह’ से 21 अप्रैल 2003 को हिंदी ब्लॉगिंग की शुरुआत होने के बाद से ही ब्लॉगिंग साफ तौर पर पत्रकारिता से सीधे जुड़े होने के बजाय ब्लॉगरों की मनोभावनाओं-अभिव्यक्तियों को उजागर करने का माध्यम ही रही। शुरुआत में देश के बड़े शहरों व विदेशों में रहे लोगों ने ही ब्लॉगिंग की शुरुआत की, क्योंकि वहां उन्हें वहां के निवासी अपनी भाषाओं में ब्लॉगिंग करते नजर आते थे। जबकि भारत में ब्लॉगिंग में उस दौर में इंटरनेट के साथ ही हिंदी में लिखने के लिए हिन्दी फांट की समस्या और उसके लेखन की विधियां तथा लोगों के बीच तकनीकी जानकारी का अभाव जैसी बड़ी बाधाएं थीं। इस दौरान अल्मोड़ा के अक्टूबर 2004 से ब्लोगर पर सक्रिय प्रशांत जोशी ने अंग्रेजी में Almoraboy's Pensieve, Maya Thomas WeddingSweet Memoirs नाम से अंग्रेजी में कुमाऊं में ट्रेकिंग व अन्य विषयों पर ब्लॉग शुरू किये।