तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात
‘ट्राई’ की बंदिश का तोड़ बताये जा रहे हैं ‘ह्वट्स अप’, निंबज, ईबडी, बीजाइव व आईएम प्लस
नैनीताल (एसएनबी)। कहावत है कि नियम-कानून ज्यों ही बनते हैं उनका तोड़ भी ढूंढ़ लिया जाता है। कुछ ऐसा ही भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की इसी सप्ताह लागू हुई उस बंदिश के साथ हो रहा है जिसमें एक दिन में एक सिम से 100 से ज्यादा एसएमएस भेजने पर पाबंदी है। एक ओर यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताते हुए न्यायालय पहुंच गया है वहीं तू डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर ‘ह्वट्स अप’, निंबज, ईबडी, बीजाइव व आईएम प्लस नाम के कई साफ्टवेयर ‘ऐप’ बाजार में आ गए हैं। इनके बारे में बाजार यह कहता हुआ नजर आ रहा है कि यदि आपके जेब में पैंसे हैं तो फिर कोई कायदे-कानून आपके लिए मायने नहीं रखते हैं।
मोबाइल जानकारों के अनुसार ट्राई का यह तोड़ भारत में शुरूआती दौर में प्रतिबंध की जद में आए ब्लैकबेरी फोन के मैसेंजर का भी तोड़ है। इसके तहत ह्वट्स अप ‘ऐप’ से कई दोस्त आपस में एक विषय पर ग्रुप चैट भी कर सकते हैं। इस दौरान सभी के मोबाइल पर एक-दूसरे के मैसेज भी नजर आएंगे। यही नहीं इसकी मदद से आवाज व वीडियो भी आपस में शेयर किए जा सकते हैं तथा मोबाइल बंद होने पर भी संदेश मिल जाते हैं जो कि मोबाइल ऑन होते ही डिलीवर हो जाते हैं। इसके प्रयोग में बाधा केवल इतनी है कि इससे केवल उन्हीं लोगों के साथ संदेशों का आदान-प्रदान किया जा सकता है, जिन्होंने अपने मोबाइल सेटों में इस ‘ऐप’ को डाउनलोड कर लिया हो। इसी कारण जहां इंटरनेट और मोबाइल पर लोग एक-दूसरे को इन साफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, वहीं इस बारे में इंटरनेट पर जानकारियां भी खूब उपलब्ध हैं, साथ ही यह ‘हिट’ भी बहुत हो रही हैं। नोकिया, ब्लैकबेरी, आई फोन, एंड्रायड व विंडोज फोन में डाउनलोड कर इन साफ्टवेयरों के प्रयोग के लिए 100 रुपये से भी कम का अनलिमिटेड इंटरनेट मोबाइल कार्ड मोबाइल पर एक्टिवेट किया जा सकता है। इसके बाद देश ही नहीं दुनिया भर में बिना किसी सीमा के एसएमएस भेजे जा सकते हैं। इसी तरह सामान्य जावा श्रेणी के मोबाइल फोनों के लिए निंबज व ईबडी नाम के ‘ऐप’ मौजूद हैं, जिनमें आपस में चैट की सुविधा भी मिलती है, साथ ही गूगल टॉक, फेसबुक चैट व याहू मैसेंजर के अलावा विंडोज लाइव मैसेंजर, एओएल, आईसीक्यू, माईस्पेस जैसे विकल्प भी एक साथ उपलब्ध हो जाते हैं। बिहाइव व आईएम प्लस नाम के साफ्टवेयरों के कुछ सीमाओं के साथ फ्री वर्जन भी मौजूद हैं। इन साफ्टवेयर के बारे में इन दिनों इंटरनेट पर जमकर सर्च हो रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि इन ऐप्स को मोबाइल ऐप्लिकेशन स्टोर्स से आसानी से खरीदा जा सकता है। परेशानी की बात कही जाए तो सिर्फ इतनी है कि इसके लिए मोबाइल थोड़े महंगे होने चाहिए और फ्री मैसेजिंग के लिए टॉकटाइम खर्च करना होगा। यानी बाजार यह कहता हुआ नजर आ रहा है कि यदि आपके जेब में पैसे हैं तो फिर आपके लिए कोई पाबंदी नहीं हैं। बहरहाल, प्रशासनिक अधिकारियों को इस बाबत कोई जानकारी नहीं है। पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने पूछे जाने पर कहा कि ट्राई अथवा सरकार से कोई निर्देश प्राप्त होने अथवा शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा सकती है।
मोबाइल जानकारों के अनुसार ट्राई का यह तोड़ भारत में शुरूआती दौर में प्रतिबंध की जद में आए ब्लैकबेरी फोन के मैसेंजर का भी तोड़ है। इसके तहत ह्वट्स अप ‘ऐप’ से कई दोस्त आपस में एक विषय पर ग्रुप चैट भी कर सकते हैं। इस दौरान सभी के मोबाइल पर एक-दूसरे के मैसेज भी नजर आएंगे। यही नहीं इसकी मदद से आवाज व वीडियो भी आपस में शेयर किए जा सकते हैं तथा मोबाइल बंद होने पर भी संदेश मिल जाते हैं जो कि मोबाइल ऑन होते ही डिलीवर हो जाते हैं। इसके प्रयोग में बाधा केवल इतनी है कि इससे केवल उन्हीं लोगों के साथ संदेशों का आदान-प्रदान किया जा सकता है, जिन्होंने अपने मोबाइल सेटों में इस ‘ऐप’ को डाउनलोड कर लिया हो। इसी कारण जहां इंटरनेट और मोबाइल पर लोग एक-दूसरे को इन साफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, वहीं इस बारे में इंटरनेट पर जानकारियां भी खूब उपलब्ध हैं, साथ ही यह ‘हिट’ भी बहुत हो रही हैं। नोकिया, ब्लैकबेरी, आई फोन, एंड्रायड व विंडोज फोन में डाउनलोड कर इन साफ्टवेयरों के प्रयोग के लिए 100 रुपये से भी कम का अनलिमिटेड इंटरनेट मोबाइल कार्ड मोबाइल पर एक्टिवेट किया जा सकता है। इसके बाद देश ही नहीं दुनिया भर में बिना किसी सीमा के एसएमएस भेजे जा सकते हैं। इसी तरह सामान्य जावा श्रेणी के मोबाइल फोनों के लिए निंबज व ईबडी नाम के ‘ऐप’ मौजूद हैं, जिनमें आपस में चैट की सुविधा भी मिलती है, साथ ही गूगल टॉक, फेसबुक चैट व याहू मैसेंजर के अलावा विंडोज लाइव मैसेंजर, एओएल, आईसीक्यू, माईस्पेस जैसे विकल्प भी एक साथ उपलब्ध हो जाते हैं। बिहाइव व आईएम प्लस नाम के साफ्टवेयरों के कुछ सीमाओं के साथ फ्री वर्जन भी मौजूद हैं। इन साफ्टवेयर के बारे में इन दिनों इंटरनेट पर जमकर सर्च हो रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि इन ऐप्स को मोबाइल ऐप्लिकेशन स्टोर्स से आसानी से खरीदा जा सकता है। परेशानी की बात कही जाए तो सिर्फ इतनी है कि इसके लिए मोबाइल थोड़े महंगे होने चाहिए और फ्री मैसेजिंग के लिए टॉकटाइम खर्च करना होगा। यानी बाजार यह कहता हुआ नजर आ रहा है कि यदि आपके जेब में पैसे हैं तो फिर आपके लिए कोई पाबंदी नहीं हैं। बहरहाल, प्रशासनिक अधिकारियों को इस बाबत कोई जानकारी नहीं है। पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने पूछे जाने पर कहा कि ट्राई अथवा सरकार से कोई निर्देश प्राप्त होने अथवा शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा सकती है।
गजब
ReplyDeletehii.. Nice Post
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Thank you "जाटदेवता" संदीप पवाँर ji and www.ChiCha.in for connecting to me and nicest words. always welcome.
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