Tuesday, September 4, 2012

इस बार ‘रिफ्रेश’ नहीं हो पाएगी नैनी झील !


नहीं खुल पाये झील के गेट, अभी भी तीन फीट कम है नैनी का जलस्तर 

नवीन जोशी नैनीताल। किसी भी जल राशि के लिए 'पानी बदल' कर 'रिफ्रेश' यानी तरोताजा होना जरूरी होता है। मूतातः पूरी तरह बारिश पर निर्भर नैनी झील को तरोताजा होने का मौका वर्ष में केवल वर्षा काल में मिलता है। इस वर्ष सावन के बाद भादौ माह भी बीतने को है, बावजूद अभी झील का जलस्तर आठ फीट भी नहीं पहुंचा है, जो कि इस माह की जरूरत के स्तर 11 फीट से तीन फीट से अधिक कम है। इधर जिस तरह बारिश का मौसम थमने का इशारा कर रहा है, ऐसे में चिंता जताई जाने लगी है कि इस वर्ष झील के गेट नहीं खोले जा सकेंगे। परिणामस्वरूप झील ‘रिफ्रेश’ नहीं हो पायेगी। भू वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के अनुसार नैनी झील का निर्माण करीब 40 हजार वर्ष पूर्व तब की एक नदी के बीचों-बीच फाल्ट उभरने के कारण वर्तमान शेर का डांडा पहाड़ी के अयारपाटा की ओर की पहाड़ी के सापेक्ष ऊपर उठ जाने से तल्लीताल डांठ की जगह पर नदी का प्रवाह रुक जाने से हुआ था। इस प्रकार नैनी झील हमेशा से बारिश के दौरान भरती और इसी दौरान एक निर्धारित से अधिक जल स्तर होने पर अतिरिक्त पानी के बाहर बलियानाला में निकलने से साफ व तरोताजा होती है। अंग्रेजी दौर में तल्लीताल में झील के शिरे पर गेट लगाकर झील के पानी को नियंत्रित करने का प्रबंध हुआ, जिसे स्थानीय तौर पर डांठ कहा जाता है। गेट कब खोले जाऐंगे, इसका बकायदा कलेंडर बना, जिसका आज भी पालन किया जाता है। इसके अनुसार जून में 7.5, जुलाई में 8.5, सितंबर में 11 तथा 15 अक्टूबर तक 12 फीट जल स्तर होने पर ही गेट खोले जाते हैं। गत वर्ष 2011 से बात शुरू करें तो इस वर्ष नगर में सर्वाधिक रिकार्ड 4,183 मिमी बारिश हुई थी। झील का जल स्तर तीन मई से एक जुलाई के बीच शून्य से नीचे रहा था, और 29  जुलाई को ही जल स्तर 8.7 फीट पहुंच गया था, जिस कारण गेट खोलने पड़े थे। इसके बाद 16 सितंबर तक कमोबेश लगातार गेट अधिकतम 15 इंच तक भी (15 अगस्त को) खोले गये। जबकि इस वर्ष गर्मियों में 30 अप्रेल से 17 जुलाई तक जल स्तर शून्य से नीचे (अधिकतम माइनस 2.6 फीट तक) रहा था, जिसका प्रभाव अब भी देखने को मिल रहा है। अब तक नगर में 2,863.85 मिमी बारिश हो चुकी है, जो कि नगर की औसत वर्षा 2500 मिमी से अधिक ही है, बावजूद चार सितंबर तक जल स्तर 7.8 फीट ही पहुंच पाया है। स्पष्ट है कि गेट खोले जाने के लिये अभी भी इस माह की 15 तारीख तक 3.2 फीट और 15 अक्टूबर तक 4.2 फीट की जरूरत है, जो वर्तमान हालातों में आसान नहीं लगता। साफ है कि झील का इस वर्ष ‘रिफ्रेश’ होना मुश्किल है। नैनी झील पर शोधरत कुमाऊं विवि के प्रो.पीके गुप्ता भी झील से पानी निकाले जाने को महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार झील के गेट खुलते हैं तो इससे झील की एक तरह से ‘फ्लशिंग’ हो जाती है। झील से काफी मात्रा में प्रदूषण के कारक ‘न्यूट्रिएंट्स’  निकल जाते हैं। वहीं राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के आनंद शर्मा मानते हैं कि हालांकि मानसून अभी वापस नहीं लौटा है, पर आगे बारिश की संभावनाऐं कम ही हैं। छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में एक कुछ हद तक बड़ा वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र बना तो है, पर उसका यहां तक पहुंचना पछुआ हवाओं पर निर्भर करेगा। उन्होंने बताया कि नैनीताल जनपद में इस वर्ष औसत 1,227 मिमी बारिश हुई है जो कि औसत 1,152 मिमी से छह फीसद ही कम है, और अधिक चिंता की बात नहीं है।
सूखाताल झील भरने के बाद सूखी  
नैनीताल। ईईआरसी, इंदिरा गांधी इंस्टिटय़ूट फार डेवलपमेंटल रिसर्च मुंबई की 2002 की रिपोर्ट के अनुसार नगर की सूखाताल झील नैनी झील को प्रति वर्ष 19.86 लाख यानी करीब 42.8 फीसद पानी उपलब्ध कराती है, लेकिन इस वर्ष यह झील अगस्त के पहले पखवाड़े में काफी हद तक भरने के बाद वापस सूख चुकी है। झील के पास नैना पीक सहित अन्य पहाड़ियों पर इस बार जल श्रोत भी नहीं फूट पाये। नगर में घरों में पिछली बार की तरह सीलन भी इस वर्ष नहीं है। बहरहाल, सूखाताल झील का सूखना आगे वर्ष भर नैनी झील के प्रति चिंताजनक संकेत दे रहा है।

2 comments:

  1. आशा है कि वर्षा और अधिक निराश नहीं करेगी.
    घुघूतीबासूती

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    1. जी, वर्षा रानी व इन्द्र देव से यही प्रार्थना है...आभार.

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