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Friday, March 4, 2011

विदेशी वेबसाइटें बोल रहीं युवा पीढ़ी पर अश्लीलता का हमला

पाकिस्तान में बना था भीमताल का चर्चित एमएमएस !
इंटरनेट पर अप्रेल 2010 से है मौजूद
नवीन जोशी,  नैनीताल। सीमाओं के हमले देश की सेनाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, पर देश के भीतर बाहरी दुनिया से एक ऐसा हमला हो रहा है, जिससे देश की युवा पीढ़ी के कोमल मन के साथ तन पर तो अश्लीलता का जहर घुल ही रहा है, आर्थिक रूप से भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। मोबाइल पर पाकिस्तान सहित अन्य देशों के नंबरों से फोन आने एवं विदेशों से करोड़ों रुपऐ की लॉटरी खुलने जैसी खबरों के बीच एक और हमला विदेशी अश्लील पोर्न साइटों की ओर से किया जा रहा है। इसी कड़ी में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि गत दिनों भीमताल में स्कूली छात्रा का चर्चित एमएसएस पाकिस्तान में बना हुआ है। यह एमएमएस बीते करीब एक वर्ष से इंटरनेट पर उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है की बीते वर्ष नवंबर-दिसंबर माह में निकटवर्ती भीमताल के एक होटल के नाम से एक स्कूली छात्रा का अश्लील एमएमएस खासा चर्चा में आया था। एमएमएस में पर्वतीय स्कूलों की छात्राओं के समान ही आसमानी रंग की कमीज व सफेद रंग का पाजामा पहने युवती को स्थानीय छात्रा समझने में अच्छे-भले जानकार भी धोखा खा गऐ थे, जबकि एमएमएस में युवती जिस तरह का पीले रंग का दुपट्टा या पट्टा डाले हुऐ है, वैसा पहाड़ की लडकियां अमूमन प्रयोग नहीं करतीं। आईजी स्तर पर मामला उठने के बाद भीमताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह ने स्वयं मुकदमा दर्ज किया था। बाद में एक स्थानीय युवक ललित मोहन पाण्डे को यह कहकर मामले में बलि का बकरा बनाया गया कि उसकी शक्ल एमएमएस में दिख रहे युवक से मिलती है। हालांकि बाद में उसे उसके मोबाइल में ऐसे 14 अश्लील एमएमएस पाऐ जाने के आरोपों में जेल भेजा गया। बमुश्किल उसे जमानत मिल पाई है। इस मामले की जांच चण्डीगढ़ स्थित प्रयोगशाला को भेजी गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह 6.22 मिनट का एमएमएस lahore pakistani shy student in school uniform with her cousine (लाहौर पाकिस्तानी शाई स्टूडेण्ड इन स्कूल यूनीफार्म विद हर कजिन) नाम से 24 अप्रेल 2010 से इंटरनेट पर मौजूद है, और इसे कोई भी आसानी से देख सकता है। यह एमएमएस सामान्यता भारत में प्रयोग न की जाने वाली (भारत में विडियो डाउनलोड के लिऐ यू-ट्यूब का प्रयोग किया जाता है) फाइल्स ट्यूब वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इस एमएमएस पर हॉट पाकिस्तानी कालेज गर्ल्स स्केण्डल्स, पाकिस्तानी स्कूल, पाकिस्तान, लाहौर स्कूल, कपल सैक्स हिडन कैमरा जैसे टैग भी लगे हुऐ हैं। जानकार एमएमएस में युवती द्वारा 'हाय अल्ला" जैसा शब्द भी बोले जाने का दावा कर रहे हैं। 
इस आधार पर ई-दुनिया के जानकार आश्वस्त हैं कि यह एमएमएस पाकिस्तान में ही बना व अपलोड हुआ है। ऐसी वेबसाइटें भारत में अश्लील वेबसाइटें प्रतिबंधित होने के बावजूद आसानी से खुल रही हैं, और चलन में हैं। शौकीनों को फाइल्स ट्यूब, एक्स वीडियोज डॉट कॉम, विज डॉट कॉम, फक ओवर माइ सेक्स सरीखी कई विदेशी वेबसाइटें भारत में खुलेआम अश्लीलता परोस रही हैं, देश की युवा पीढ़ी के तन-मन व धन को प्रदूषित व खतरे में डाल रही हैं। इन साइटों से वीडियो क्लिपिंग डाउनलोड करने पर प्रतिमाह सैकड़ों डॉलर का खर्चा वसूला जाता है। बहरहाल, इस चर्चित एमएमएस के मामले में भीमताल थानाध्यक्ष उत्तम सिंह ने स्वीकारा कि उन्हें भी एमएमएस के पाकिस्तानी होने की सूचना है। कुमाऊं आईजी राम सिंह मीणा ने कहा कि बाहरी पोर्न वेबसाइटों को रोकने के क्या प्राविधान हैं, इसका वह अध्ययन करेंगे।
हाँ, यहाँ एक और बात कहना जरूर समीचीन होगा कि मीडिया को अपने क्षेत्र से जोड़कर ऐसे विषयों पर खासकर जल्दबाजी में, बिना तथ्यों की पड़ताल किये कुछ भी प्रकाशित/प्रसारित करने से बचना चाहिए। इससे अपने क्षेत्र की बहुत बदनामी होती है। जैसे इस मामले में भीमताल क्षेत्र की हर लड़की और लड़कों को संदेह की नजर से देखा जाने लगा, जबकी एमएमएस कहीं और का बना हुआ था।
इस तरह भी हो रहा हमला
नैनीताल। इंटरनेट पर सैक्सी हल्द्वानी, सैक्सी नैनीताल, सैक्सी देहरादून, सैक्स स्केण्डल हल्द्वानी, नैनीताल, देहरादून जैसे नामों से भी वीडियो क्लिप मौजूद हैं। खास बात यह भी है बड़ी धनराशि चुकाने के बाद ही डाउनलोड होने वाली यह क्लिप्स वास्तव में एक ही होती हैं, नाम स्वत: शहर के हिसाब से बदल जाते हैं। लड़कियों से अश्लील चेटिंग, वीडियो चेटिंग आदि भी शहर के हिसाब से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, और मोटी कीमत वसूल रहे हैं।

Thursday, October 14, 2010

CWG: रिकार्ड पर रिकार्ड, क्वींस बेटन से ही हो गयी थी इतिहास रचने की शुरुआत

नवीन जोशी, नैनीताल। 1930 से हो रहे राष्ट्रमण्डल खेलों के 70 वर्षों के इतिहास में भारत को 19वें संस्करण में आयोजन का जो पहला मौका मिला है, उसे भारत ने बखूबी अपने पक्ष में किया है। चार वर्ष पूर्व मेलबर्न में आयोजित हुऐ 18वें राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत के समरेश जंग ने प्रतियोगिता का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनकर घर में होने जा रहे खेलों में देश के खिलाड़ियों द्वारा इतिहास रचने का जो इशारा कर दिया था, उसमें भले वह अपना योगदान न दे पाए हों, पर भारतीय खिलाड़ियों ने सर्वाधिक 38 सवर्णों के साथ पदकों का शतक ( 27 रजत व 36 कांश्य के साथ (पिछले खेलों के 49 पदकों के दोगुने से भी अधिक) कुल 101 पदकों को "शगुन") बना कर इन खेलों के इतिहास में पहली बार दूसरे स्थान पर चढ़ने का इतिहास रच दिया है। यह भारत का किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। इससे पूर्व वर्ष 2002 के मैनचेस्टर खेलों में भारत ने सर्वाधिक 30 स्वर्ण, 22 रजत व 17 कांश्य के साथ कुल 69 व 2006 के मेलबर्न खेलों में सोने के 22 , चांदी के 17 व कांशे के 10 सहित केवल 49 पदक ही जीते थे। इसके अलावा भी भारत ने इन खेलों के उदघाटन व समापन समारोहों के एतिहासिक आयोजनों से दुनिया को अपनी सांस्कृतिक मजबूती के साथ ही विकास के पथ पर दुनियां हिला देने वाले हौंसले के दर्शन करा कर भी हिला कर रख दिया वैसे भारत ने खेलों के शुरू होने से पूर्व ही इन खेलों में परंपरागत रूप से प्रयोग होने वाली ऐतिहासिक क्वींस बेटन को रच कर ही कई मायनों में इतिहास रच कर रिकार्डों की लंबी श्रृंखला बनाने का इशारा कर दिया था।

  • इतिहास में पहली बार पाया है इतिहास और भविष्य का समिन्वत व हाई-टेक अन्दाज 
  • देश के विभिन्न प्रान्तों की मिट्टी से लेकर सोना तक लगा है बेटन में 
ओलम्पिक खेलों में मशाल की तरह राष्ट्रमण्डल खेलों में 1958 से क्वींस बेटन प्रयुक्त की जाती है। ओलम्पिक व एशियाई खेलों के बाद 71 देशों की सहभागिता वाले राष्ट्रमण्डल प्रतियोगिय दुनिया के तीसरे सबसे बड़ी प्रतियोगिता मानी जाती है परंपरा है कि जिस देश में इन खेलों का आयोजन होता है, बेटन के निर्माण का अधिकार भी उसी को मिलता है। इस प्रकार इस बार के राष्ट्रमण्डल खेलों के लिए 29 अक्टूबर 2009 को इंग्लेण्ड के बकिंघम पैलेस से महारानी के हाथों से राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल  के हाथों होकर निकली 900  ग्राम  वजनी व 66 सेमी लम्बाई की 'क्वींस बेटन´ ने कई मायनों में इतिहास रचते हुऐ भारत की उछ तकनीकी दक्षता का झंडा भी विश्व के समक्ष बुलंद कर दिया था। सही मायनों में बेटन देश ही नहीं दुनिया की आधुनिकतम तकनीकों के साथ ही भारतीय परम्पराओं व शिल्प का अद्भुत संगम के साथ बनाई गयी 
यह पहला मौका था जब बेटन पर लिखा महारानी के राष्ट्रमण्डल खेलों के शुभारम्भ के मौके पर परंपरागत तौर पर पढ़े जाने वाले सन्देश को पहले भी देखा जा सकता था। पहले यह सन्देश बेटन में छुपाकर रखा जाता था, किन्तु इस बार देश के इंजीनियरों ने इस हेतु ख़ास लेजर तकनीक का प्रयोग किया, जिससे सन्देश पहले दिख तो सकटा था, परन्तु शुभारम्भ से पहले पढ़ा नहीं जा सकटा था यह  सन्देश बेटन के सबसे ऊपरी शिरे पर स्थित शीशे के नीचे एक सोने की पत्ती आकार के संरचना पर लिखा गया था। इसके पीछे सोच यह है की प्राचीन काल में भारत में सन्देश पत्तियों पर ही लिख कर भेजे जाते थे । 
इसके अलावा बेटन की सतह पर जो कई रंगों की धारियां दिख रही थीं, वह वास्तव में देश के सभी राज्यों की 'लेमिनेट' की गयी रंग-बिरंगी रेत थीं, जो देश के सभी राज्यों के बेटन में प्रतिनिधित्व के साथ ही देश की 'विविधता में एकता' की शक्ति का भी सन्देश देती थीं। बेटन का निर्माण बंगलौर की कंपनी फोले डिजाइनर द्वारा भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड व टाईटन की मदद से किया गया 
बेटन में एक और ख़ास विशेषता इसके स्वरुप में छुपी थी, वह थे इसमें हवा के प्रवाह के अनुकूल दौड़ते समय संतुलन बनाने के लिए `एयरो डायनेमिक बैण्ड´। साथ ही बेटन में अत्याधुनिक उपकरणों के रूप में कैमरा, वाइस रिकार्डर के साथ ही जीपीएस सिस्टम भी लगा हुआ था, जो बेटन की यात्रा के दौरान उसकी भौगोलिक स्थिति पर नज़र रखने के साथ ही रिकार्ड भी करता रहता था।बेटन साफ्टवेयर के सहारे साथ चल रहे लेपटॉप से भी जुड़ी हुई थी, जिस कारण इसके रिले के दौरान की गतिविधियों को राष्ट्रमण्डल खेलों की वेबसाइट पर देखा जा सकता था। 
यही नहीं बेटन को `बेटन स्पेस मैसेज स्पेस नाम स्पेस व शहर का नाम´ लिखकर 53030 पर एसएमएस सन्देश भी भेजे जा सकते थे। इनमें से चुनिन्दा सन्देश वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं। 
एक और खास बात, बेटन पर बनीं पारदर्शी धारियां एलईडी तकनीक पर रात्रि में उस देश के झंडे के रंगों में चमक कर अपनत्व का भाव दिखाती थीं, इससे बेटन जिस देश में मौजूद  होती थी, वहाँ का झंडा दिखाती थी, ऐसा इसके जीपीएस व कम्प्यूटर से जुड़े होने के कारण `ऑटोमेटिक´ होता है। 
क्वीन्स बेटन रिले समिति के निदेशक कर्नल केएस बनस्तू ने बताया कि बाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान से भारत में आते ही इस पर स्वतः झण्डा बदल गया। अपनी अब तक की यात्रा के दौरान बेटन ने एक और रिकार्ड अपने नाम किया, वह यह कि इस बार इसने सर्वाधिक 1.9 लाख किमी की यात्रा की, जबकि पिछले मेलबर्न राष्ट्रमण्डल खेलों में बेटन ने इस वर्ष के मुकाबले करीब आधी दूरी ही तय की थी।
इसके अलावा भी दिल्ली में हुए राष्ट्रमण्डल खेलों में पहली बार सर्वाधिक 73 देशों के 7 ,000 खिलाड़ियों के 828 पदकों की होड़ में भाग लेने का रिकार्ड भी बना, जबकि इससे  पूर्व 2006 में सर्वाधिक 4049 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। इसके साथ ही इस वर्ष 2002 के बराबर सर्वाधिक 17 खेलों की प्रतियोगिताएं हुईं। इसके साथ ही भारत ने उदघाटन व समापन अवसरों पर जैसी आतिशबाजी के साथ भव्य कार्यक्रम किये, उससे देश-विदेश की आँखें चुधियाये बिना नहीं रह पायीं हैं। आगे अब देश की निगाह अपने पदक विजेता खिलाड़ियों पर 12 से 27 नवम्बर के बीच चीन के ग्वांगझू में होने वाले 16वें एशियाड खेलों के लिए रहेगी, जहाँ "भारत के धर्म" कहे जाने वाले क्रिकेट व "भारत के ग्रामीण खेल" कबड्डी सहित 42 खेलों की 476 प्रतियोंगिताओं में 476 स्वर्ण पदकों के लिए 45 देशों के बीच मुकाबला होगा. 

Sunday, October 10, 2010

अमेरिका, विश्व बैंक, प्रधानमंत्री जी और ग्रेडिंग प्रणाली


हाल में आयी एक खबर में कहा गया है 'विश्व बैंक ने भारत को अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए एक अरब पांच करोड़ डॉलर यानी 5,250 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण की मंजूरी दे दी है। यह ऋण सरकार द्वारा चलाए जा रहे सर्व शिक्षा अभियान की सहायता के लिए दिया जाएगा।' यह शिक्षा के क्षेत्र में विश्व बैंक का अब तक का सबसे बड़ा निवेश तो है ही, साथ ही यह कार्यक्रम विश्व में अपनी तरह का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। 


इसके इतर दूसरी ओर  इससे भी बड़ी परन्तु दब गयी खबर यह है कि भारत सरकार देश भर के स्कूलों में परंपरागत आंकिक परीक्षा प्रणाली को ख़त्म करना चाहती है, वरन देश के कई राज्यों की मनाही के बावजूद सी.बी.एस.ई. में इस की जगह 'ग्रेडिंग प्रणाली' लागू कर दी गयी है 

तीसरे कोण पर जाएँ तो अमेरिका भारतीय पेशेवरों से परेशान है. कुछ दशक पहले नौकरी करने अमेरिका गए भारतीय अब वहां नौकरियां देने लगे हैं अमेरिका की जनसँख्या के महज एक फीसद से कुछ अधिक भारतीयों ने अमेरिका की 'सिलिकोन सिटी' के 15 फीसद से अधिक हिस्सेदारी अपने नाम कर ली हैउसे भारतीय युवाओं की दुनिया की सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा तो चाहिए, पर नौकरों के रूप में, नौकरी देने वाले बुद्धिमानों के रूप में नहीं

आश्चर्य नहीं इस स्थिति के उपचार को अमेरिका ने अपने यहाँ आने भारतीयों के लिए H 1 B व L1 बीजा के शुल्क में इतनी बढ़ोत्तरी कर ली है अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की गत दिनों हुई भारत यात्रा में भी यह मुख्य मुद्दा रहा 

अब एक और कोण, 1991 में भारत के रिजर्व बैंक में विदेशी मुद्रा भण्डार इस हद तक कम हो जाने दिया गया कि सरकार दो सप्ताह के आयात के बिल चुकाने में भी सक्षम नहीं थी। यही मौका था जब अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान संकट मोचक का छद्म वेश धारण करके सामने आये । देश आर्थिक संकट से तो जूझ रहा था पर विश्व बैंक और अन्तराष्ट्रीय मुद्राकोष को पता था कि भारत कंगाल नहीं हुआ है, और वह इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के सुझाव पर भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने भण्डार में रखा हुआ 48 टन सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा एकत्र की।  उदारवाद के मोहपाश में बंधे तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी सरकार और अन्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। यही वह समय था जब सरकार हर सलाह के लिये विश्व बैंक - आईएमएफ की ओर ताक रही थी। हर नीति और भविष्य के विकास की रूपरेखा वाशिंगटन में तैयार होने लगी थी। याद कर लें, वाशिंगटन केवल अमेरिका की राजधानी नहीं है बल्कि यह विश्व बैंक का मुख्यालय भी है।  

अब वापस इस तथ्य को साथ लेकर लौटते हैं कि आज "1991 के तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह" भारत के प्रधानमंत्री हैं उन्होंने देश भर में ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने का खाका खींच लिया है, वरन सी.बी.एस.ई. में (निदेशक विनीत जोशी की काफी हद तक अनिच्छा के बावजूद) इसे लागू भी कर दिया है इसके पीछे कारण प्रचारित किया जा रहा है कि आंकिक परीक्षा प्रणाली में बच्चों पर काफी मानसिक दबाव व तनाव रहता है, जिस कारण हर वर्ष कई बच्चे आत्महत्या तक कर बैठते हैं (यह नजर अंदाज करते हुए कि "survival of the fittest" का अंग्रेज़ी सिद्धांत भी कहता है कि पीढ़ियों को बेहतर बनाने के लिए कमजोर अंगों का टूटकर गिर जाना ही बेहतर होता है जो खुद को युवा कहने वाले जीवन की प्रारम्भिक छोटी-मोटी परीक्षाओं से घबराकर श्रृष्टि के सबसे बड़े उपहार "जीवन की डोर" को तोड़ने से गुरेज नहीं करते, उन्हें बचाने के लिए क्या आने वाली मजबूत पीढ़ियों की कुर्बानी दी जानी चाहिए

यह भी कहा जाता है कि फ़्रांस के एक अखबार ने चुनाव से पहले ही वर्ष २००० में सिंह के देश का अगला वित्त मंत्री बनाने की भविष्यवाणी कर दी थी....(यानी जिस दल की भी सरकार बनती, 'मनमोहन' नाम के मोहरे को अमेरिका और विश्व बैंक भारत का वित्त मंत्री बना देते)

कोई आश्चर्य नहीं, यहाँ "दो और लो (Give and Take)" के बहुत सामान्य से नियम का ही पालन किया जा रहा है  अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान कर्ज एवं अनुदान दे रहे हैं, इसलिये स्वाभाविक है कि शर्ते भी उन्हीं की चलेंगी। लिहाजा हमारे प्रधानमंत्री जी पर अमेरिका का भारी दबाव है, "तुम्हारी (दुनियां की सबसे बड़ी बौद्धिक शक्ति वाली) युवा ब्रिगेड ने हमारे लोगों के लिए बेरोजगारी की  समस्या खड़ी कर दी है, विश्व बेंक के 1.05 अरब डॉलर पकड़ो, और इन्हें यहाँ आने से रोको, भेजो भी तो हमारे इशारों पर काम करने वाले कामगार....हमारी छाती पर मूंग दलने वाले होशियार नहीं...समझे....", और प्रधानमंत्री जी ठीक सोनिया जी के सामने शिर झुकाने की अभ्यस्त मुद्रा में 'यस सर' कहते है, और विश्व बैंक के दबाव में ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर रहे हैं

उनके इस कदम से देश के युवाओं में बचपन से एक दूसरे से आगे बढ़ने की प्रतिद्वंद्विता की भावना और "self motivation" की प्रेरणा दम तोड़ने जा रही है देश की आने वाली पीढियां पंगु होने जा रही हैं अब उन्हें कक्षा में प्रथम आने, अधिक प्रतिशतता के अंक लाने और यहाँ तक कि पास होने की भी कोई चिंता नहीं रही शिक्षकों के हाथ से छड़ी पहले ही छीन चुकी सरकार ने अब अभिभावकों के लिए भी गुंजाइस नहीं छोडी कि वह बच्चों को न पढ़ने, पास न होने या अच्छी परसेंटेज न आने पर डपटें भी

Saturday, March 27, 2010

एकतरफा बोल रही हैं अंजू गुप्ता : कलराज मिश्रा

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं बाबरी विध्वंश मामले में आरोपी कलराज मिश्रा ने आईपीएस अधिकारी अंजू गुप्ता के सीबीआई अदालत में शुक्रवार को दिऐ बयान को एकतरफा करार दिया है। उन्होंने कहा कि अंजू अपने बयान में पूर्वाग्रहों से ग्रस्त लगती हैं। उन्हें मामले का दूसरा पक्ष भी रखना चाहिऐ थे।
  • आडवाणी, जोशी ने मुंह तक नहीं खोला था, शेशाद्रि विभिन्न भाषाओं में लोगों को ढांचा तोड़ने से मना कर रहे थे 

शनिवार को निजी प्रवास पर नैनीताल पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बातचीत मैं यह बात कही। उन्होंने इसे सही करार दिया कि बावरी विध्वंश की घटना के दौरान अंजू वहां एएसपी के रूप में मौजूद थीं, और उनकी (कलराज की) अंजू से काफी बात भी हुई थी। उन्होंने बताया कि घटना के दौरान देश की विभिन्न भाषाओं के ज्ञाता आरएसएस नेता स्वर्गीय शेशाद्रिचारी भीड़ को लगातार हिन्दी, तमिल, तेलगू व पूर्वोत्तर की विभिन्न भाषाओं में चीख चीखकर `संघ की मानो´ व `अनुशासन मानो´ कह समझा रहे थे। कलराज ने दावा किया कि इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी कार सेवकों को भड़काने जैसा एक शब्द भी नहीं बोले थे। इस दौरान जब ढांचा तोड़ा जा रहा था, कई लोग बाबरी ध्वंस करने वालों को पकड़ने के लिए भी दौड़े, और कई को मारा भी गया। मिश्रा ने कहा कि वह घटना भीड़ द्वारा अनियन्त्राण की स्थिति में की गई घटना थी, ऐसे में नेतृत्व पर लांछन लगाना गलत है। उन्होंने माना कि बाबरी ध्वंस के बाद कुछ लोगों ने खुशी जरूर जताई थी। उनका कहना था कि अंजू यदि दूसरी ओर की बातें भी रखती तो अच्छा होता। एक अन्य सवाल के उत्तर में श्री मिश्रा ने राम मन्दिर निर्माण को भाजपा की वचनबद्धता बताया। साथ ही साफ किया कि भाजपा के पूर्ण बहुमत बिना यह सम्भव नहीं लगता। उन्होंने भाजपानीत एनडीए के छह वर्ष के शासनकाल में राम मन्दिर न बनाने को विफलता मानने से इंकार किया। कहा यह 1857 से चला आ रहा विवाद है। उन्होंने खुलाशा किया कि 1857 में फैजाबाद के एक हिन्दू व एक मुस्लिम नेता ने विवादित स्थल पर मन्दिर का निर्माण तय कर लिया था, किन्तु अंग्रेजों ने दोनो नेताओं को फांसी पर चढ़ा दिया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को भी राममन्दिर के कपाट खोलने के लिए श्रेय दिया। कहा कि कांग्रेस पार्टी सहित सभी चाहते हैं कि राम मन्दिर बने, परन्तु दूसरे को राजनीतिक श्रेय न मिल जाऐ इसलिए विरोध करते हैं। अमिताभ बच्चन को गुजरात का ब्राण्ड अंबेसडर बनाऐ जाने के बाद कांग्रेस द्वारा उनका विरोध किऐ जाने को उन्होंने कांग्रेस की संकुचित सोच का नमूना बताया। कहा कि पूर्व पीएम राजीव गांधी, पीएम डा. मनमोहन सिंह व पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद से विकास के प्रतिमान रचने के लिए प्रशंशित गुजरात प्रदेश से किसी बढ़े कलाकार के जुड़ने की प्रशंशा होनी चाहिऐ। इसे कलाकार का सत्तारूढ़ दल से जुड़ना नहीं माना जाना चाहिऐ।

Thursday, January 21, 2010

नीरो सरकार जाये, जनता जनार्दन आती है

आज देश के समक्ष बढ़ी किंकर्त्तव्यविमूढ़ता की स्थिति है. देश में महंगाई कहने भर को नहीं, वाकई सातवें आसमान पर है, और सरकार के मंत्री अपने सुख-संसाधनों के साथ अपने व्यापारी आकाओं के हित साधने की चिंताओं में न केवल उलझे हुए हैं, वरन "नीरो" की तरह "बंशी" बजा रहे हैं. खासकर "आम आदमी की सरकार" के कृषि मंत्री शरद पवार अपने सत्तासीन होने से ही आम आदमी की थाली खाली करने और पहले चीनी को अपने एक बयान से कढवा करने के बाद अब दूध को महंगाई की हांडी में उबालने पर तुले हुए हैं. देश के अकेले "इंसान" शशि थरूर आजादी के 62 साल बाद भी "आम आदमी" ही बने रहने को मजबूर अधिसंख्य देशवासियों को "जानवर" कह चुके हैं, और अफ़सोस कि "जानवर" घुड़क भी नहीं रहे.
एक समय था जब महंगा होने पर केवल प्याज ने सरकार गिरा दी थी, और आज कहने को देश के शीर्ष पदों पर एक-दो नहीं कई "देश के सर्वश्रेष्ठ अर्थशाश्त्री " आसीन हैं. स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन जी (मनमोहन ने तो त्रेता में भी बांसुरी बजाई थी, पर प्रेम की), पी चिदंबरम जी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया जी, प्रणव जी तथा और भी कई लोग. लेकिन फिर भी महंगाई केवल कहने भर को नहीं, वास्तव में सुरसा के मुंह की तरह दिन दोगुनी-रात चौगुनी गति से बढ़ रही है. और सबसे बढ़ी चिंता की बात यह कि इन सभी को यह कहने में लेश मात्र की शर्म नहीं आ रही कि महंगाई को रोकने में वे असमर्थ हैं. 
तो क्या देश के सामने संकट केवल महंगाई का ही नहीं वरन "देश के अर्थशाश्त्रियों के सामर्थ्य शून्य होने" का भी है ? हांलांकि मानना पड़ेगा की यह सच्चाई नहीं है, नेताओं की देश के बजाये निजी स्वार्थों को प्राथमिकता देने की राजनीतिक से अधिक व्यावसायिक मजबूरी इस समस्या की जड़ में है. शरद पवार व शशि थरूर जैसे उनके मंत्रिमंडल के अन्य व्यापारी मित्र भी इसी व्यवस्था के अंग लगते हैं.





याद रखना होगा कि केंद्र में अपने समय में "रोटी" के लिए चीखने वाले देशवासियों को "ब्रेड" खाने की सलाह देने वालीं और स्वयंभू "इंदिरा इज इंडिया" की "गरीबी हटाओ" के नारे के साथ 62 में से 50 साल से अधिक राज करने वाली ही सरकार है. यह अलग बात है कि उनका जोर गरीबी की बजाये गरीबों को हटाने पर ही अधिक रहा. हाँ, इधर उनके पौत्र राहुल जरूर आशा जगाते हैं कि उन्हें गरीबों की कुछ फ़िक्र है.

ऐसे में समय आ गया है, जब सरकार को जाना चाहिए, केवल पवार की बलि तक से लोकतंत्र के सबसे बड़े देव जनता जनार्दन को संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए. अन्यथा सरकार को अब तो बातों के इतर कुछ करके दिखाना चाहिए, सत्ता छोड़ कर जाने या दूसरों को सत्ता सौंपने का साहस न हो तो इतना तो कर के देख लें कि राहुल को कमान सौंप दें.