You'll Also Like

Tuesday, April 20, 2010

विश्व भर के पक्षियों का जैसे तीर्थ है नैनीताल






नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी नैनीताल की विश्व प्रसिद्ध पहचान पर्वतीय पर्यटन नगरी के रूप में ही की जाती है, इसकी स्थापना ही एक विदेशी सैलानी पीटर बैरन ने १८ नवम्बर १८४१ में की थी, और तभी से यह  नगर देश-विदेश के सैलानियों का स्वर्ग है. लेकिन इससे इतर इस नगर की एक और पहचान विश्व भर में है, जिसे बहुधा कम ही लोग शायद जानते हों. इस पहचान के लिए नगर को न तो कहीं बताने की जरूरत है, और नहीं महंगे विज्ञापन करने की. दरअसल यह पहचान मानव नहीं वरन पक्षियों के बीच है. पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार देश भर में पाई जाने वाली 1100 पक्षी प्रजातियों में से 600 यहां मिलती हैं। प्रवासी पक्षियों या पर्यटन की भाषा में पक्षी सैलानियों की बात करें तो देश में कुल आने वाली 400 पक्षी प्रजातियों में से 200 से अधिक यहां आती हैं, जबकि 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों का यहां प्राकृतिक आवास है। यही आकर्षण है कि देश दुनियां के पक्षी प्रेमी प्रति वर्ष बड़ी संख्या में केवल पक्षियों के दीदार को यहाँ पहुंचाते हैं. इस प्रकार नैनीताल को विश्व भर के पक्षियों का तीर्थ कहा जा सकता है



  • देश की 1100 पक्षी प्रजातियों में से 600 हैं यहां
  • देश में आने वाली 400 प्रवासी प्रजातियों में से 200 से अधिक भी आती हैं यहां
  • स्थाई रूप से 200 प्रजातियों का प्राकृतिक आवास भी है नैनीताल
  • आखिरी बार 'माउनटेन क्वेल' को भी नैनीताल में ही देखा गया था 
नैनीताल में पक्षियों की संख्या के बारे में यह दावे केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी पार्क भरतपुर राजस्थान के मशहूर पक्षी गाइड बच्चू सिंह ने किऐ हैं।वह गत दिनों ताईवान के लगभग १०० पक्षी प्रेमियों को जयपुर की संस्था इण्डिविजुअल एण्ड ग्रुप टूर्स के मनोज वर्धन के निर्देशन में यहाँ लाये थे. इस दौरान ताईवान के पक्षी प्रेमी जैसे ही यहाँ पहुंचे, उन्हें अपने देश की ग्रे हैरौन एवं चीन, मंगोलिया की शोवलर, पिनटेल, पोचर्ड, मलार्ड व गार्गनी टेल जैसी कुछ चिड़ियाऐं तो होटल परिसर के आसपास की पहाड़ियों पर ही जैसे उनके इन्तजार में ही बैठी हुई मिल गईं। उन्हें यहां रूफस सिबिया, बारटेल ट्री क्रीपर, चेसनेट टेल मिल्ला आदि भी मिलीं। मनोज वर्धन के अनुसार वह कई दशकों से यहाँ विदेशी दलों को पक्षी दिखाने ला रहे हैं. यहां मंगोली, बजून, पंगोट, सातताल व नैनीझील एवं कूड़ा खड्ड पक्षियों के जैसे तीर्थ ही हैं। उनका मानना है कि अगर देश-विदेश में नैनीताल का इस रूप में प्रचार किया जाऐ तो यहां अनंत संभावनायें हैं। अब गाइड बच्चू सिंह की बात करते हैं। वह बताते हैं जिम कार्बेट पार्क, तुमड़िया जलाशय, नानक सागर आदि का भी ऐसा आकर्षण है कि हर प्रवासी पक्षी अपने जीवन में एक बार यहां जरूर आता है।वह प्रवासी पक्षियों का रूट बताते हैं। गर्मियों में लगभग 20 प्रकार की बतखें, तीन प्रकार की क्रेन सहित सैकड़ों प्रजातियों के पक्षी साइबेरिया के कुनावात प्रान्त स्थित ओका नदी में प्रजनन करते हैं। यहां सितम्बर माह में सर्दी बढ़ने पर और बच्चों के उड़ने लायक हो जाने पर यह कजाकिस्तान-साइबेरिया की सीमा में कुछ दिन रुकते हैं और फिर उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान होते हुए भारत आते हैं। इनमें से लगभग 600 पक्षी प्रजातियां लगभग एक से डेड़ माह की उड़ान के बाद भारत पहुंचती हैं, जिनमें से 200 से अधिक उत्तराखण्ड के पहाड़ों और खास तौर पर अक्टूबर से नवंबर अन्त तक नैनीताल पहुँच जाते हैं। इनके उपग्रह एवं ट्रांसमीटर की मदद से भी रूट परीक्षण किए गऐ हैं। 
इस प्रकार दुनियां की कुल साढ़े दस हजार पक्षी प्रजातियों में से देश में जो 1100 प्रजातियां भारत में हैं उनमें से 600 से अधिक प्रजातियां नैनीताल में पाई जाती हैं। यहां उन्हें अपनी आवश्यकतानुसार दलदली, रुके या चलते पानी और जंगल में अपने खाने योग्य कीड़े मकोड़े और अन्य खाद्य वनस्पतियां आसानी से मिल जाती हैं। नैनीताल की "शेर-का-डांडा" पहाडी में ही १८७६ में दुनिया में आख़िरी बार 'माउंटेन क्वेल' यानि "काला तीतर" देखने के भी दावे किये जाते हैं.

1 comment:

  1. Find the latest World news in Hindi. Get current news headlines, breaking news samachar and top stories in Hindi from around the World. दुनिया की ताज़ा खबर, ब्रेकिंग और लेटेस्ट दुनिया न्यूज़ on MNewsindia.com Latest World News in Hindi | दुनिया न्यूज़ विश्व के समाचार

    ReplyDelete