नवीन जोशी, नैनीताल। पहाड़ चढ़ने के लिए पहाड़ सा होंसला, विश्वास व काबिलियत होनी चाहिऐ, यह आज तक सिर्फ सुना जाता है. तन, मन, मस्तिष्क और मानस की सुन्दरता की समन्वय 'पहाड़ की बेटी' मनस्वी ममंगई नाम की लड़की ने इस कथन को सही साबित करते हुऐ देश भर की मध्यमवर्गीय समाज की लड़कियों के लिए सौन्दर्य प्रतियोगिताओं की एक नयी राह खोल दी है। उसने मुम्बई में आयोजित देश की सबसे प्रतिष्ठित और धनाढ्य व हाई-प्रोफाइल वर्ग की लड़कियों के लिए मानी जानी वाली 'पेंटालून फेमिना मिस इण्डिया वर्ल्ड २०१०' (पीएफएमआई) का खिताब जीत लिया है। जीवन में सभी प्रतियोगिताओं की `टॉपर´ बनने का अनोखा रिकार्ड रखने वाली मनस्वी की बीते चार वर्षों में खिताबों की हैट-ट्रिक है, अब उसके आगे `मिस वर्ल्ड´ प्रतियोगिता का नया आसमान है, जिसे जीतने का उसके साथ ही उसके परिजनों को भी पूरा विश्वास है।
जीवन में सभी प्रतियोगितओं की `टॉपर´ रहने का अनोखा रिकार्ड, यह थी पुरस्कारों की हैट-ट्रिक, आगे मिस वर्ल्ड बनने का पूरा भरोसा
मनस्वी की ननिहाल नैनीताल में है। उसके नाना चन्द्रशेखर नैलवाल यहां प्रभागीय वनाधिकारी रहे। वह मनस्वी की नानी पुष्पा नैलवाल, मामा तुमुल नैलवाल व मामी मीनू के साथ यहीं मेविला कंपाउण्ड में रहते हैं। ममगाईं परिवार मूलत: प्रदेश के दूरस्थ बागेश्वर जिले के गरुड़ कश्बे के निकट गड़सेर गांव का निवासी है। मनस्वी की मां प्रभा और पिता जन्मेजय नैलवाल नैनीताल के ही डीएसबी परिसर से पढ़े। मां ने यहीं से एमए किया, और पिता ने ग्रेजुऐशन के बाद एमएलएनआर कालेज से इंजीनियरिंग की। बहरहाल नौकरी पर अपने कार्य को तरजीह देते हुऐ उन्होंने दिल्ली से कांट्रेक्टिंग शुरू की। यहीं 1988 में मनस्वी का जन्म हुआ। बाद में वह चण्डीगढ़ चले गऐ। इस बीच मनस्वी अपनी ननिहाल नैनीताल आती रही।कुमाउनी व्यंजन 'भट्ट की चुड़कानी' व 'पालक का कापा' आज भी उसके पसंदीदा ब्यंजन हैं. उसे नैनी सरोवर में बोटिंग करना व यहाँ के चिड़ियाघर में घूमना भी बहुत पसंद है. यहां 10 वर्ष की मनस्वी ने वर्ष 1998, 99 और 2000 में लगातार तीन वर्ष मल्लीताल `जूम लेण्ड´ में होने वाली साह मेमोरियल स्केटिंग प्रतियोगिता जीत कर प्रतियोगिता की रनिंग ट्राफी भी हासिल की। चण्डीगढ़ के हंसराज पब्लिक स्कूल से प्रथम श्रेणी में इंटर करने के बाद परिजन चाहते थे कि वह इंजीनियरिंग करे, परन्तु उसने अपने बचपन की ख्वाहिस 'मोडलिंग' की ओर कदम बढ़ाये, इस दौरान माता-पिता में चल रहे अलगाव को नजरअंदाज करते हुए वह एलीट माडलिंग कंपनी से जुड़ गई और वर्ष 2006 में ही उसने कैरियर का पहला खिताब `इण्डिया मॉडल हंट´ जीत लिया। वर्ष 08 में उसने मलेशिया में आयोजित हुई `मिस इंटरनेशनल टूरिज्म प्रतियोगिता´ में देश का प्रतिनिधित्व किया और इसे भी वह जीत कर ही लौटी। इधर शुक्रवार की मध्य रात्रि उसने प्रख्यात फिल्म निर्माता मधुर भण्डारकर व विपुल अम्रुतलाल शाह जैसे निर्णायकों के समक्ष पेंटालून फेमिना मिस इण्डिया वर्ल्ड 2010 के 18 फाइनलिस्टों को पछाड़ते हुऐ वह मुकाम हासिल कर लिया, जिसे पाना देश की मध्यमवर्गीय लड़कियों के लिए आज से पहले कभी सम्भव न हुआ । प्रतियोगिता की शर्तों के अनुसार उसे मधुर भण्डारकर की फिल्म मिलनी भी तय है। लेकिन उसकी मंजिल देश के लिए `मिस वर्ल्ड´ का खिताब वापस लाना है।
आज भी लड़कियों को वर्जनाओं से घिरा मानने वाले समाज में मनस्वी एक मिसाल है। वह अपने माता पिता की इकलौती सन्तान है। उसके परिजनों का कहना है कि उसने वह कर दिखाया जैसा उसके जैसी मध्मवर्गीय लड़कियां ख्वाब में भी नहीं सोच भी नहीं पातीं, और लड़कों के लिए भी यह संभव नहीं होता. और यह भी सच्चाई है कि मनस्वी की इस सफलता के पीछे भी एक अकेली महिला यानि उसकी मा प्रभा नैलवाल ही हैं, जो चार वर्ष पूर्व पति से अलगाव के बाद अकेले दम उसे यह मुकाम दिला पाई हैं.
हाईकोर्ट में अधिवक्ता उसके मामा तुमुल नैलवाल ने बताया कि अपनी जीत के तुरन्त बाद उसने उसने यह विश्वास जताया। तुमुल सहित सभी परिजनों को भी उसके विश्वास पर पूरा विश्वास है, साथ ही अब पूरे प्रदेशवासियों की निगाहें भी उसकी ओर लग गई हैं। उसकी इस उपलब्धि से यहां उसकी ननिहाल में बेहद हर्ष का माहौल है। परिजन मिठाइयां बांट रहे हैं। घर में बधाइयां देने वालों का ताँता लगा हुआ है।
मनस्वी की उपलब्धि पर उसकी नानी को मिठाई खिलते मामा-मामी.
मनस्वी वाकवि में अत्यंत ही मंजुल है
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