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Saturday, March 12, 2011

और उलझ गयी उत्तराखंड की सबसे बड़ी "मर्डर मिस्ट्री"



तिवारी ने नहीं तो फिर किसने मारा बलवन्त को ?
तिवारी व बलवन्त के बीच पुलिस ही थी मौजूद, तार-तार हुईं पुलिस की झोल युक्त कहानी
नवीन जोशी, नैनीताल। 22 अगस्त 2009 की रात्रि प्रदेश के इतिहास में काले शनवार की  रात्रि के रूप में दर्ज है, जब प्रदेश में पहली बार पुलिस थाने के भीतर सत्तारूढ़ दल के ब्लाक प्रमुख के साथ ही ब्लाक प्रमुख संगठन के प्रदे अध्यक्ष पद पर मौजूद बलवन्त कन्याल की हत्या हो गई। घटना के दौरान आरोपी व मक्तूल के अलावा कोई मौके पर था तो केवल पुलिस ही मौके पर थी। पुलिस ने इस अति महत्वपूर्ण मामले में हत्याकाण्ड के चश्मदीद गवाह व वादी के धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान कराने जैसी सामान्य सावधानी भी नहीं बरती, जिसके परिणामस्वरूप गवाहों के मुकरने व पुलिस की कहानी के झोल से हत्याकाण्ड का मुख्य आरोपी तब न्यायालय से दोषमुक्त करार दे दिया गया, जबकि इसी और ऊपरी अदालत ने उसे जमानत देने लायक भी नहीं समझा था। ऐसे में सवाल फीर उठ खड़ा हुआ है, तिवारी ने नहीं तो फिर किसने ब्लाक प्रमुख की हत्या की। क्या हत्यारों को कभी सजा मिल पाऐगी ? ऐसे जघन्य हत्याकाण्ड के बाद भी हमारी व्यवस्था में कालाढुंगी थाने की सुरक्षा दीवार काण्टेदार तार से घेरने के अलावा कोई बदलाव नहीं दिखता। घटनाकाण्ड के समय मौजूद अधिकारी पुन: व्यवस्था में लौट आऐ हैं। उनका बाल-बांका भी नहीं हुआ
बलवन्त कन्याल की हत्या से प्रदेश की कानून व्यवस्था की कई तरह से कलई खुलती चली गई है। शुरू से आरोपों को याद करें, तो पता चलता है कि घटना के तुरंत बाद कालाढूंगी के स्थानीय लोगों के सामने पुलिस कर्मी थाणे के बरामदे को धो रहे थे, जबकि कन्याल की लाश वहीँ पडी थी, यानी पुलिस पर साक्ष्य छुपाने का मुकदमा दर्ज होना चाहिए था, पर हुआ नहीं प्रदे की एसटीएफ द्वारा 22 अगस्त की रात्रि ही देहरादून जेल में बन्द एक अपराधी द्वारा इस घटना की प्रतिक्रिया में कालाढुंगी थाने को फूंकने के निर्देश स्थानीय नेताओं को दिये गऐ, बावजूद पुलिस थाना फूंकने की घटना को नहीं रोक पाई। अब कन्याल हत्याकाण्ड की तफ्तीश व विवेचना में पुलिस कर्मियों की 'कहानी बनाने की कला" न्यायालय में तार-तार हो गई है। मामले की विवेचना में कालाढुंगी थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी राम कुमार सकलानी का कहना है कि 22 अगस्त की रात्रि करीब साढ़े दस-पौने ग्यारह बजे जब थाने के बरामदे में नीरज ने बलवन्त को अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारी, उसने (सकलानी ने) नीरज को दबोच लिया व उसका रिवाल्वर जब्त कर माल खाने में जमा करा दिया। वहीं थाने के दरोगा अनिल शाह के अनुसार उसने मुखबीर की सूचना पर नीरज को 24 अगस्त को नैनीताल में जीजीआईसी से कलक्ट्रेट के मार्ग से लाइसेंसी रिवाल्वर के साथ गीरफ्तार किया। यदि यह मान भी लें कि नीरज थाने से पुलिस गिरफ्त से भाग गया था तो भी पुलिस के पास इस विरोधाभास का कोई जवाब नहीं है कि जब एक रिवाल्वर माल खाने में जब्त करा लिया गया था तो फिर वही रिवाल्वर कैसे नीरज के पास से नैनीताल में बरामद किया गया। 
उल्लेखनीय है, मामले में 16 लोगों की गवाही हुई। इस दौरान हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराने वाले दिवंगत बलवन्त कन्याल के जीजा वादी शेर सिंह कनवाल सहित पांच गवाह पुलिस की केस डायरी में दर्ज बयानों से पूरी तरह मुकर गऐ। कनवाल ने कमोबे घटना से ही इंकार कर दिया। इस प्रकार गवाहों के 'होस्टाइल (पक्षद्रोही)" यानी बयानों से मुकरने व आरोपी की गिरफ्तारी पर विरोधाभास के मद्देनज़र न्यायालय ने तिवारी को उस पर बलवन्त कन्याल की हत्या के आरोप में आईपीसी की धारा 147, 148, 504 व 302 के तहत लगाऐ गऐ आरोपों से मुक्त कर दिया। (हांलांकि यह भी गौरतलब है कि शेष 11 गवाह अपने बयानों से नहीं मुकरे थे, पर न्यायलय ने उनके बयानों पर संज्ञान ......... लिया) मामले की विवेचना पुलिस निरीक्षक गंगा सिंह  व महेन्द्र सिंह नेगी द्वारा की गई थी। 
उल्लेखनीय है मामले में थाना प्रभारी सकलानी भी गिरफ्तार किऐ गऐ थे, जमानत मिलने के दौरान उसने तत्कालीन सीओ हरीश चन्द्र सती को वास्तविक दोषी ठहराया था, लेकिन सकलानी और सती दोनों वर्तमान में पूर्व की तरह पुलिस की ड्यूटी कर रहे हैं। अन्य अधिकारियों पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा।जबकि  घटना की प्रतिक्रिया में उत्तेजित भीड़ ने एक पुलिस कर्मी सहित थाने को फूंक डाला। यानी जब थाने में सत्तारूढ़ दल के बड़े नेता की हत्या हो रही थी, पुलिस कर्मी मर रहा था व थाना फूंक रहा था, अफसर स्वयं को बचाने की जुगत में लगे हुऐ थे, और उनका बाल-बांका हुआ भी नहीं। कन्याल की हत्या में ही सहआरोपी बताया गया नीरज तिवारी का दोस्त नीरज हर्बिलअभी जमानत पर है, आरोप मुक्त नहीं हुआ है। 
यह भी गौरतलब है कि बलवन्त की हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराने वाला व नीरज के दोषमुक्त होने में 'होस्टाइल" होकर प्रमुख भूमिका निभाने वाला उसका जीजा शेर सिंह कनवाल घटना के अगले दिन हुई थाना फूंकने की घटना में स्वयं भी आरोपित था। वह नीरज के साथ ही नैनीताल जेल में रहा, और कमोबेश बलवे के अन्य पांच दर्जन आरोपितों, जिनमें एक दर्जन से अधिक बच्चे भी शामिल थे, से पहले जमानत पर रिहा हुआ। जबकि कई अब भी जेल में हैं, और आरोपों से मुक्ति किसी को नहीं मिल पाई है। चर्चाएँ आम हैं कि जेल में कनवाल का "खर्चा" नीरज ने ही उठाया, उसे जमानत दिलाने में भी सहयोग दिया। नीरज के परिवार द्वारा अभी हाल में करीब एक करोड़ रुपये में जमीन बेछे जाने की चर्चाएँ भी आम हैं। इस प्रकार पूरी कहानी साफ़ हो जाती है। न्यायिक हलकों के लोग तो न्यायपालिका को भी "बेदाग़" नहीं बता रहे।  इस बाबत पुलिस की भूमिका पर पूछे जाने पर एसएसपी मोहन सिंह बनंग्याल का कहना था कि न्यायालय का आदेश पढ़ने के बाद ही वह कोई प्रतिक्रिया करेंगे।
यहाँ यह सवाल भी उठता है कि जब सत्ताधारी दल के एक जनप्रतिनिधि की पुलिस थाने में हत्या होने के बावजूद हत्यारों को सजा दूर, उनकी पहचान भी नहीं हो पाती, ऐसे में आम राज्यवासी का जीवन कितना सुरक्षित है

पुलिस सहित सबके सहयोग से मिली सफलता: नंदिता
नीरज तिवारी को न्यायालय से दोषमुक्ति का आदे मिलने के दौरान उसकी बहन नंदिता भट्ट, बड़े भाई दीपक तिवारी के साथ ही भाई नरे व मयंक, जीजा गणे भट्ट व गोपाल र्मा न्यायालय परिसर में ही मौजूद थे। नंदिता ने भाई की रिहाई को देर से मिली न्याय की जीत करार दिया। उसका कहना था कि पुलिस सहित सभी ओर से मिले सहयोग के कारण यह सम्भव हो पाया। नंदिता पुलिश को सहयोग के लिए आभार ज्ञापित कर रही हैं तो यह गलत भी नहीं है, आखिर पुलिस ने कहानी में कमजोरी छोड़ने सहित कई मोर्चों पर उनकी मदद जो की है
यानी कालाढुंगी से विधायकी की फिराक में है नीरज !
ब्लाक प्रमुख बलवन्त कन्याल की हत्या के आरोपों से न्यायालय द्वारा बेदाग करार दे दिऐ गऐ नीरज तिवारी ने आगे गैर राजनीतिक संगठन बनाने तथा कालाढुंगी काण्ड की चपेट में आऐ लोगों की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है। हत्याकाण्ड के आरोपों से पूर्व बसपा के युवा जिलाध्यक्ष रहे नीरज ने घर पहुँचते ही पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर शुरू से पूरा विश्वास था, जो आज न्याय की जीत के साथ और पुख्ता हो गया है। कहा कि कालाढुंगी थाना फूंकने के आरोपों में दर्जनों लोग परेशानी झेल रहे हैं। वह गैर राजनीतिक संघटन का गठन कर सरकार पर ऐसे लोगों पर लगे मामले वापस लेने के लिए दबाव बनाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार नीरज कालाढूंगी से विधायकी की फिराक में है, और कोई आश्चर्य नहीं वह इसमें सफल भी हो जाए।



फिर खुलेगी कन्याल हत्याकांड की फाइलें, रिकार्ड हाईकोर्ट में तलब
नैनीताल,28 अप्रैल। बहुचर्चित बलवंत कन्याल हत्याकांड को लेकर दायर याचिका के आधार पर उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से रिकार्ड तलब किए हैं। यह याचिका जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल के फैसले के खिलाफ बलवंत की पत्नी दीपाली ने दाखिल की है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति सव्रेश कुमार गुप्ता की पीठ में हो रही है। उल्लेखनीय है कि कालाढूंगी पुलिस थाने में बलवंत कन्याल की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस हत्या के लिए बसपा नेता नीरज तिवारी को जिम्मेदार ठहराया था। पुलिस ने नीरज तिवारी के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया था। गत 11 मार्च को जिला एवं सत्र न्यायालय नैनीताल ने मुख्य आरोपी नीरज तिवारी को बाइज्जत बरी कर दिया था। निचली अदालत के इस फैसले को कन्याल की पत्नी दीपाली ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।



कन्याल हत्याकांड में थानेदार भी दोषमुक्त
नैनीताल (एसएनबी)। ब्लाक प्रमुख संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बलवंत सिंह कन्याल की हत्या के मामले में थानेदार राम कुमार सकलानी को जिला न्यायालय ने दोषमुक्त करार दे दिया है। मुख्य आरोपित नीरज तिवारी पहले ही दोषमुक्त करार दिया जा चुका है। 22 अगस्त 2009 की रात को घटित हुए प्रदेश के इस बहुचर्चित हत्याकांड में भाजपा नेता व ब्लाक प्रमुख संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बलवंत कन्याल की कालाढूंगी थाने में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के प्रत्युत्तर में अगले दिन कालाढूंगी थाना उत्तेजित लोगों ने फूंक दिया गया था। इस मामले में थानेदार सकलानी पर आरोप था कि उसने कन्याल की हत्या की रिपोर्ट नहीं लिखी। उसने घटनास्थल थाने की बजाय अन्यत्र दिखाने का प्रयास किया व थाने में कन्याल के रक्त को धोकर साक्ष्य छिपाने का प्रयास किया। सकलानी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले में थानेदार पूर्व से ही जमानत पर चल रहा था।

Friday, March 4, 2011

विदेशी वेबसाइटें बोल रहीं युवा पीढ़ी पर अश्लीलता का हमला

पाकिस्तान में बना था भीमताल का चर्चित एमएमएस !
इंटरनेट पर अप्रेल 2010 से है मौजूद
नवीन जोशी,  नैनीताल। सीमाओं के हमले देश की सेनाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, पर देश के भीतर बाहरी दुनिया से एक ऐसा हमला हो रहा है, जिससे देश की युवा पीढ़ी के कोमल मन के साथ तन पर तो अश्लीलता का जहर घुल ही रहा है, आर्थिक रूप से भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। मोबाइल पर पाकिस्तान सहित अन्य देशों के नंबरों से फोन आने एवं विदेशों से करोड़ों रुपऐ की लॉटरी खुलने जैसी खबरों के बीच एक और हमला विदेशी अश्लील पोर्न साइटों की ओर से किया जा रहा है। इसी कड़ी में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि गत दिनों भीमताल में स्कूली छात्रा का चर्चित एमएसएस पाकिस्तान में बना हुआ है। यह एमएमएस बीते करीब एक वर्ष से इंटरनेट पर उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है की बीते वर्ष नवंबर-दिसंबर माह में निकटवर्ती भीमताल के एक होटल के नाम से एक स्कूली छात्रा का अश्लील एमएमएस खासा चर्चा में आया था। एमएमएस में पर्वतीय स्कूलों की छात्राओं के समान ही आसमानी रंग की कमीज व सफेद रंग का पाजामा पहने युवती को स्थानीय छात्रा समझने में अच्छे-भले जानकार भी धोखा खा गऐ थे, जबकि एमएमएस में युवती जिस तरह का पीले रंग का दुपट्टा या पट्टा डाले हुऐ है, वैसा पहाड़ की लडकियां अमूमन प्रयोग नहीं करतीं। आईजी स्तर पर मामला उठने के बाद भीमताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह ने स्वयं मुकदमा दर्ज किया था। बाद में एक स्थानीय युवक ललित मोहन पाण्डे को यह कहकर मामले में बलि का बकरा बनाया गया कि उसकी शक्ल एमएमएस में दिख रहे युवक से मिलती है। हालांकि बाद में उसे उसके मोबाइल में ऐसे 14 अश्लील एमएमएस पाऐ जाने के आरोपों में जेल भेजा गया। बमुश्किल उसे जमानत मिल पाई है। इस मामले की जांच चण्डीगढ़ स्थित प्रयोगशाला को भेजी गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह 6.22 मिनट का एमएमएस lahore pakistani shy student in school uniform with her cousine (लाहौर पाकिस्तानी शाई स्टूडेण्ड इन स्कूल यूनीफार्म विद हर कजिन) नाम से 24 अप्रेल 2010 से इंटरनेट पर मौजूद है, और इसे कोई भी आसानी से देख सकता है। यह एमएमएस सामान्यता भारत में प्रयोग न की जाने वाली (भारत में विडियो डाउनलोड के लिऐ यू-ट्यूब का प्रयोग किया जाता है) फाइल्स ट्यूब वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इस एमएमएस पर हॉट पाकिस्तानी कालेज गर्ल्स स्केण्डल्स, पाकिस्तानी स्कूल, पाकिस्तान, लाहौर स्कूल, कपल सैक्स हिडन कैमरा जैसे टैग भी लगे हुऐ हैं। जानकार एमएमएस में युवती द्वारा 'हाय अल्ला" जैसा शब्द भी बोले जाने का दावा कर रहे हैं। 
इस आधार पर ई-दुनिया के जानकार आश्वस्त हैं कि यह एमएमएस पाकिस्तान में ही बना व अपलोड हुआ है। ऐसी वेबसाइटें भारत में अश्लील वेबसाइटें प्रतिबंधित होने के बावजूद आसानी से खुल रही हैं, और चलन में हैं। शौकीनों को फाइल्स ट्यूब, एक्स वीडियोज डॉट कॉम, विज डॉट कॉम, फक ओवर माइ सेक्स सरीखी कई विदेशी वेबसाइटें भारत में खुलेआम अश्लीलता परोस रही हैं, देश की युवा पीढ़ी के तन-मन व धन को प्रदूषित व खतरे में डाल रही हैं। इन साइटों से वीडियो क्लिपिंग डाउनलोड करने पर प्रतिमाह सैकड़ों डॉलर का खर्चा वसूला जाता है। बहरहाल, इस चर्चित एमएमएस के मामले में भीमताल थानाध्यक्ष उत्तम सिंह ने स्वीकारा कि उन्हें भी एमएमएस के पाकिस्तानी होने की सूचना है। कुमाऊं आईजी राम सिंह मीणा ने कहा कि बाहरी पोर्न वेबसाइटों को रोकने के क्या प्राविधान हैं, इसका वह अध्ययन करेंगे।
हाँ, यहाँ एक और बात कहना जरूर समीचीन होगा कि मीडिया को अपने क्षेत्र से जोड़कर ऐसे विषयों पर खासकर जल्दबाजी में, बिना तथ्यों की पड़ताल किये कुछ भी प्रकाशित/प्रसारित करने से बचना चाहिए। इससे अपने क्षेत्र की बहुत बदनामी होती है। जैसे इस मामले में भीमताल क्षेत्र की हर लड़की और लड़कों को संदेह की नजर से देखा जाने लगा, जबकी एमएमएस कहीं और का बना हुआ था।
इस तरह भी हो रहा हमला
नैनीताल। इंटरनेट पर सैक्सी हल्द्वानी, सैक्सी नैनीताल, सैक्सी देहरादून, सैक्स स्केण्डल हल्द्वानी, नैनीताल, देहरादून जैसे नामों से भी वीडियो क्लिप मौजूद हैं। खास बात यह भी है बड़ी धनराशि चुकाने के बाद ही डाउनलोड होने वाली यह क्लिप्स वास्तव में एक ही होती हैं, नाम स्वत: शहर के हिसाब से बदल जाते हैं। लड़कियों से अश्लील चेटिंग, वीडियो चेटिंग आदि भी शहर के हिसाब से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, और मोटी कीमत वसूल रहे हैं।