You'll Also Like

Showing posts with label Anna Hajare. Show all posts
Showing posts with label Anna Hajare. Show all posts

Friday, March 7, 2014

यह युग परिवर्तन की भविष्यवाणी के सच होने का समय तो नहीं ?



(मूलतः 2011 में लिखी गई पोस्ट) 

बात कुछ पुराने संदर्भों से शुरू करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि १८३६ में उनके गुरु आचार्य रामकृष्ण परमहंस के जन्म के साथ ही युग परिवर्तन काल प्रारंभ हो गया है। यह वह दौर था जब देश ७०० वर्षों की मुगलों की गुलामी के बाद अंग्रेजों के अधीन था, और पहले स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल भी नहीं बजा था।
बाद में महर्षि अरविन्द ने प्रतिपादित किया कि युग परिवर्तन का काल, संधि काल कहलाता है और यह करीब १७५ वर्ष का होता है...
पुनः, स्वामी विवेकानंद ने कहा था ‘वह अपने दिव्य चक्षुओं से देख रहे हैं कि या तो संधि काल में भारत को मरना होगा, अन्यथा वह अपने पुराने गौरव् को प्राप्त करेगा.... ’
उन्होंने साफ किया था ‘भारत के मरने का अर्थ होगा, सम्पूर्ण दुनिया से आध्यात्मिकता का सर्वनाश ! लेकिन यह ईश्वर को भी मंजूर नहीं होगा... ऐसे में एक ही संभावना बचती है कि देश अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा....और यह अवश्यम्भावी है।’
वह आगे बोले थे ‘देश का पुराना गौरव विज्ञान, राज्य सत्ता अथवा धन बल से नहीं वरन आध्यात्मिक सत्ता के बल पर लौटेगा....’
अब १८३६ में युग परिवर्तन के संधि काल की अवधि १७५ वर्ष को जोड़िए. उत्तर आता है २०११. यानी हम 2011 में युग परिवर्तन की दहलीज पर खड़े थे, और इसी दौर से देश में परिवर्तनों के कई सुर मुखर होने लगे थे....
अब आज के दौर में देश में आध्यात्मिकता की बात करें, और बीते कुछ समय से बन रहे हालातों के अतिरेक तक जाकर देखें तो क्या कोई व्यक्ति इस दिशा में आध्यात्मिकता की ध्वजा को आगे बढाते हुआ दिखते हैं, क्या वह बाबा रामदेव या अन्ना हजारे हो सकते हैं.....?
कोई आश्चर्य नहीं, ईश्वर बाबा अथवा अन्ना को युग परिवर्तन का माध्यम बना रहे हों, और युगदृष्टा महर्षि अरविन्द और स्वामी विवेकानंद की बात सही साबित होने जा रही हो....
यह भी जान लें कि आचार्य श्री राम शर्मा सहित फ्रांस के विश्वप्रसिद्ध भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस सहित कई अन्य विद्वानों ने भी इस दौर में ही युग परिवर्तन होने की भविष्यवाणी की हुई है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा था कि "दुनिया में तीसरे महायुद्ध की स्थिति सन् 2012 से 2025 के मध्य उत्पन्न हो सकती है। तृतीय विश्वयुद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निबाहेगा। सभी देश उसकी सहायता की आतुरता से प्रतीक्षा करेंगे। नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्वयुद्ध की जो भविष्यवाणी की है उसी के साथ उसने ऐसे समय एक ऐसे महान राजनेता के जन्म की भविष्यवाणी भी की है, जो दुनिया का मुखिया होगा और विश्व में शांति लाएगा।"
अब 2014 में, जबकि लोक सभा चुनावों की दुंदुभि बज चुकी है। ऐसे में क्या यह मौका युग परिवर्तन की भविष्यवाणी के सच साबित होने का तो नहीं है। देश का बदला मिजाज भी इसका इशारा करता है, पर क्या यह सच होकर रहेगा ? कौन होगा युग परिवर्तक ? क्या मोदी ?

एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार अब तक चीनी, आईपीएल, राष्ट्रमंडल खेल, आदर्श सोसाइटी, २-जी स्पेक्ट्रम आदि सहित २,५०,००० करोड़ मतलब २,५०,००, ००,००,००,००० रुपये का घोटाला कर चुकी है. मतलब दो नील ५० खरब रुपये का घोटाला, 

यह अलग बात है कि हमारे (कभी विश्व गुरु रहे हिंदुस्तान के) प्रधानमंत्री मनमोहन जी और देश की सत्ता के ध्रुव सोनिया जी को यह नील..खरब जैसे हिन्दी के शब्द समझ में ही नहीं आते हैं.... 
अतिरेक नहीं कि एक विदेशी है और दूसरा विश्व बैंक का पुराना कारिन्दा.... यानी दोनों ही देश की आत्मा से बहुत दूर …
शायद वह अपनी करनी से देश में क्रांति को रास्ता दे रहे है….
संभव है बाबा रामदेव जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं, और अन्ना हजारे जो जन लोकपाल के मुद्दे पर आन्दोलन का बिगुल बजाये हुए हैं, इस क्रांति के अग्रदूत हों. बाबा रामदेव के आरोप अब सही लगने लगे हैं की गरीब देश कहे जाने वाले (?) हिन्दुस्तानियों के ( जिनमें निस्संदेह नेताओं का हिस्सा ही अधिक है) १०० लाख करोड़ (यानी १०,००,००,००,००,००,००,०००) यानी १० पद्म रुपये (बाबा रामदेव के अनुसार) और एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार ७० लाख करोड़ यानी सात पद्म रुपये भारत से बाहर स्विस और दुनिया ने देश के अन्य देशों के अन्य बैंको में छुपाये है. इस अकूत धन सम्पदा को यदि वापस लाकर देश की एक अरब  से अधिक जनसँख्या में यूँही बाँट दिया जाए तो हर बच्चे-बूढ़े, अमीर-गरीब को ७० लाख से एक करोड़ रुपये तक बंट सकते हैं....  
जान लीजिये की देश की केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और सभी निकायों का वर्ष का कुल बजट इस मुकाबले कहीं कम केवल २० लाख करोड़ यानी दो पद्म रुपये यानी विदेशों में जमा धन का पांचवा हिस्सा  है. यानी इस धनराशी से देश का पांच वर्ष का बजट चल सकता है..
लेकिन अपने सत्तासीन नेताओं से यह उम्मीद करनी ही बेमानी है की देश की इस अकूत संपत्ति को वापस लाने के लिए वह इस ओर पहल भी करेंगे…
मालूम हो की संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा धन वापस लाने के लिए भारत सहित १४० देशों के बीच एक संधि की है. इस संधि पर १२६ देश पुनः सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं, लेकिन भारत इस पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा है. 

यह भी पढ़ें: 

Friday, April 8, 2011

कौन हैं अन्ना हजारे ? क्या है जन लोकपाल विधेयक ?

देश में आजादी के बाद से ही लगातार सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते जा रहे भ्रष्टाचार के हद से अधिक गुजर जाने के बाद युगपरिवर्तन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है ऐसे में बाबा रामदेव के बाद किसी धूमकेतु की तरह अचानक किशन बाबूराव हज़ारे  (अन्ना हजारे) परिदृश्य में अवतरित हुए हैदिल्ली में पहले चार अप्रेल से जंतर-मंतर पर पांच दिन और अब १६ अगस्त से रामलीला मैदान में "जन लोकपाल विधेयक" की मांग पर अनशन पर बैठे अन्ना की पहल पर ही पूर्व में देश में आज के दौर का सर्वाधिक चर्चित "सूचना का अधिकार-2005" आया था . आइये अन्ना और उनके द्वारा प्रस्तावित जन लोकपाल विधेयक के बारे में कुछ और जानते हैं। 
अन्ना का जन्म 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगाँव सिद्धी नाम के गाँव में एक कृषक परिवार में हुआ था। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अन्ना पढ़ नहीं पाए। 1963 में भारत-चीन युद्ध के दौरान वह भारतीय सेना में एक ड्राइवर के रूप में शामिल हुए। कहते हैं की 1965 में खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों के शहीद होते देख वे बड़े व्यथित हुए, इसी दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व आचार्य विनोबा भावे के बारे में अध्ययन किया और बेहद प्रभावित हुए।  1975 में वह सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने गाँव लौट आये और वहां ग्रामीणों को नहर और बाँध बनाकर पानी का संग्रह करने की प्रेरणा दी उन्होंने साक्षरता कार्यक्रम भी चलाये, जिनसे वह देश भर में मशहूर हुए। उन्होंने पहला आन्दोलन महाराष्ट्र के वन विभाग के खिलाफ किया व सफल रहे। पूर्व में वह 10 बार आमरण अनशन कर चुके हैं। आगे 1991 में उन्होंने "भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन" का गठन किया, 97 में सूचना का अधिकार माँगते हुए आन्दोलन चलाया, जिस पर पहले महाराष्ट्र और फिर 2005 में केंद्र सरकार को "सूचना का अधिकार" लाना पढ़ा। 

- इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
- यह संस्था चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायलय की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
- किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा।
- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
- भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।
- लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीश, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
- लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटी- करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
- लोकपाल को किसी न्यायाधीश, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।
-यह बिल जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।
लोकपाल का विस्तृत ड्राफ्ट देखने को यहाँ क्लिक करें.
यहाँ  क्लिक करके भी देख सकते हैं. 

संसद में कई बार पेश हो चुका है लोकपाल बिल

पूर्व में लोकपाल बिल कई बार संसद में पेश किया जा चका है, लेकिन कभी पास नहीं हो सका। 2004 में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वादा किया था कि जल्द ही लोकपाल बिल संसद में पेश किया जाएगा, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा और आखिरकार अन्ना हजारे को आमरण अनशन पर बैठना पड़ा।
भारत सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने और इस पर कड़ी निगरानी रखने के लिए 1969 में लोकपाल विधेयक नाम से एक बिल पारित किया। यह बिल लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया। लोकपाल बिल 1971, 1977, 1985 1989, 1996,1998, 2001 और 2005 में राज्य सभा में रखा गया लेकिन पास नहीं हो सका। पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के कार्यकाल में एक बार 1996 और अटल बिहारी वाजपेयी के समय दो बार 1998 और 2001 में इसे लोकसभा में लाया गया। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
क्या सभी समस्याओं का हल साबित होगा लोकपाल बिल ? 
अन्ना हजारे की नजर में भ्रष्टाचार एक कानूनी समस्या है। वे इसके लिए मनमाफिक जन लोकपाल बिल चाहते हैं। अब जबकि सरकार ने अन्ना की जन लोकपाल विधेयक की मांग मान ली है, इसके बावजूद सवाल उठता है की क्या संसद इसी रूप में इस विधेयक को पारित कर देगी, जबकी उसी के सदस्यों और इसका ड्राफ्ट बनाने वाले नौकरशाहों पर ही इसकी चोट पड़ने वाली है ?  यदि विधेयक बन ही गया, तो क्या इससे भ्रष्टाचार समाप्त अथवा कम हो पाएगा ? क्या लोकपाल को कानूनी शक्तियाँ दे दी जाएंगी तो भ्रष्टाचार रूक जाएगा ? क्या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल बिल काफी है ? हमारे यहाँ तो कितना भी अच्छा पटाखा आये, जल्द फुस्स हो जाता है. बड़े-बड़े चमकीले तारे भी जल्द ही टिमटिमा कर बुझ जाते हैं.  किसी भी कानून के आने के साथ ही उसमे छेद बना लिए जाते हैं, ऐसे में हजारे और जन लोकपाल विधेयक के सामने इन सबसे अलग होने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। याद रखना होगा की अन्ना के आन्दोलन को मिला जनता का अभूतपूर्व समर्थन "जन लोकपाल बिल " से अधिक केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार की अटूट श्रंखला, और हर स्तर पर उसे (जनता को) झेलने पढ़ रहे इसके दंश की प्रतिक्रिया था। बिल से भ्रष्टाचार ख़तम होगा या नहीं, यह तो तय नहीं, पर इतना भरोसे से कहा जा सकता है के अन्ना के आन्दोलन को समर्थन देने वाले लोग ही यदि स्वयं को भ्रष्टाचार से अलग कर लें तो देश का काफी भला जरूर हो जाएगा


"भ्रष्‍टाचार का महारोग देश की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। राजधानी से गांव तक और संसद से पंचायत तक सभी क्षेत्रों में भ्रष्‍टाचार ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली है। आम आदमी परेशान है। हमारे समक्ष नैतिक बल से संपन्‍न ऐसे आदर्श की कमी है जो भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध जन-जागरण कर सकें, ऐसे में 72 साल के वयोवृद्ध समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने इस मुद्दे पर सरकार को ललकारा है। लोकपाल बिल 2010 अभी संसद के पास विचाराधीन है। इस बिल में प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों के खिलाफ शिकायत करने का प्रावधान है। श्री हजारे के अनुसार बिल का वर्तमान ड्राफ्ट प्रभावहीन है और उन्होंने एक वैकल्पिक ड्राफ्ट सुझाया है। आइए, हम भी आर्थिक शुचिता के पक्षधर बनें, इस मसले पर जनजागरण करें और भ्रष्‍टाचारमुक्‍त समाज व शासन सुनिश्चित करने का संकल्‍प लें।"
यदि आप भी अन्ना की मुहिम में जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें. 




यह भी पढ़ें: