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Wednesday, February 28, 2018

इस साल की नयी होली : कुछ काम अब तो कर लो बलम...

‘कुछ काम अब तो कर लो बलम-2,

बंद करा क्यूं ग्यूं चावल हमरा, गुझिया हुंणी चीनी दिला दो बलम,

कुछ काम अब तो कर लो बलम..

खाली खजाना जेब भी खाली-करने वाले जेल चलें,

मुख पे मलो उनके कालो डीजल, भ्रष्टाचार की होरी जलें,

औरों पर तो बहुत चलाई, कुछ खुद पर भी तो चला दो कलम,

कुछ काम अब तो कर लो बलम....’

सब्बै इष्ट-मितुरन, संगी-साथी, नाना-ठुला भाई-भुला, दीदी-भुली, ब्वारिन-बोजिन सबन, सरकार में और सरकार से भ्यार-भितर वालों, कलम के सिपाहियों, घर-ऑफिस, अखबार वालों, फेसबुकिया, ट्विटरिया, ब्लॉगिया और ‘राष्ट्रीय सहारा’-‘नवीन समाचार’ के पाठकों  को होली की बहुत-बहुत बधाइयां... 

हो-हो-हो लख रे....गावैं, खेलैं, देवैं असीस, हो हो हो लख रे। बरस दिवाली-बरसै फाग, हो हो हो लख रे...। जो नर जीवैं, खेलें फाग, हो हो हो लख रे...।
नवीन जोशी, 'नवेंदु'

यह भी पढ़ें : सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत है कुमाउनी शास्त्रीय होली

1 comment:

  1. विषय के साथ गहरा सम्बन्ध है। और पढ़ने में अच्छा लगा। आप मेरा लेख भी देखें देवभूमि उत्तराखंड

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