हमसे न पूछो कि अब तक हम कहां थे ?
थे जहाँ, जिस भूमिका में थे, उसी भूमिका में थे।
थे सुई, तो सी रहे थे बुरे वक्त के जख्मों को।
अब बन के निकले हैं तलवार, तो हर तूफान को चीर देंगे।
जब जो भी करो तो अपनी भूमिका से न्याय करो।
बनो पतवार, कि नाव को मझधार से पार करो।
चलो नेक रस्ते पे, भूल कर भी न कोई भूल करो।
रहे मजबूत मन का विश्वास, इतनी शक्ति की प्रभु से चाह करो।
मिलेंगे लाख अपयश भी कभी सद्कर्मों से,
मिलेगी अथाह पीड़ा भी हित-धर्मों से।
पर सद् राह न कभी कदमों से छूटने पाए।
जिस राह पर भेजा है ईश्वर ने, उस पर बढ़ते जाएं।
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